बच्चे के लिए आश्रम में रंगरलिया – भाग ३

कला से एक कपडे से चूत को साफ़ किया…

फिर उसने थोड़ा तेल हाथ में लिए और मेरी चूत पर लगाया… आप ये कहानी देसी बहु डॉट कॉम पर पढ रहे है…. और मालिश करने लगी.. उसकी उंगलियां मेरी चूत के अगल-बगल जादू कर रही थी…. मेरी मुँह से हलकी से सिसकारी निकल रही थी…

“मज़ा आ रहा है मैडम?”, कला ने मुस्कुराते हुए पुछा…

“हम्म्म”, मैंने हामी भर दी…

उसने अपना काम जारी रखा…

कुछ देर बाद उसने मेरी चूत की फांके खोली और तेल अंदर लगाया… और मसलने लगी.. उसकी उंगलियां मेरी चूत में खलबली मचा रही थी..

उसने ऊँगली अंदर बाहर करना शुरू कर दिया… आप ये कहानी देसी बहु डॉट कॉम पर पढ रहे है….

मैं उत्तेजना से अकड़ रही था..

“आह्ह्ह्हह्ह…. ह्म्म्मम्म… इस्सस….” हर तरह की कामुक आवाज़ें मेरे मुँह से निकल रही थी…

कला अपने काम की माहिर खिलाड़ी थी… उसने ऊँगली अंदर बहार करना जारी रखा… मेरी चूत गीली हो गयी थी और ‘फच्च..फच्च’ की आवाज़ कर रही थी…

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“आपकी चूत बहुत रसीली है मैडम”, कला मुस्कुराते हुए बोली.. .”लगता है काफी दिनो से इसकी अच्छी तरह से चुदाई नहीं हुई है.. ”

मैंने कुछ बोला नहीं… मैं तो बस उसके इन हरकतों का आनद ले रही थी…

“पवन, अब तुम अपना काम करो…. “, वो बोली ….

मैंने अवाक् हो कर दरवाज़े के तरफ देखा…

पवन, जो के शायद पहले ही अंदर आ चूका था, मेरे तरफ बढ़ा… शायद वो तब अंदर आया होगा, जब मैं आँखें बंद करके अपनी चूत में ऊँगली के अंदर-बाहर होने का मज़ा ले रही थी…

पवन पहले से ही नंगा था… उसके साफ़ और चमकती लंड को देख कर मैं आश्चर्य में रह गयी.. वो काफी मोटा और लम्बा था…

पवन आया और मेरे मुँह के सामने खड़ा हो गया.. आप ये कहानी देसी बहु डॉट कॉम पर पढ रहे है….

उसका लंड लगभग मेरे सामने था.. कला की ऊँगली अब भी मेरे चूत में थी… वो अंदर-बाहर कर रही थी और मैं हलकी-हलकी सिसकारी छोड़ रही थी…

तभी, कला उठी और पवन के पास आ गयी…

उसने पवन के मोठे लंड पर तेल लगाया और मसलने लगी…

मैं लेटे लेटे ये सब देखने लगी..

कमरे में एकदम शांति थी.. सीरत तेल मालिश की आवाज़ और हलकी हलकी सिसकारियां…

कला ने कुछ देर उसके लंड की मस्त मालिश की… फिर उसके गोटियां भी मालिश करने लगी..

पवन इस बीच मेरी चुकी मसल रहा था… बीच बीच में वो मेरी निप्पल भी काट लेता..

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पवन ने झुक कर अब मेरी चुकी चूसना शुरू कर दिया… कला, उठी और दूसरे तरफ जा कर अपने कपडे उतारने लगी… वो दिखने में स्लिम और सावली थी, पर अच्छी दिखती थी…

कुछ देर में वो पूरी नंगी हो गयी और मेरे पास आयी… उसकी चूत एकदम साफ़ और चिकनी थी…

वो झुकी और मेरी छूट चाटने लगी..

“आह्ह्हह्ह्ह्ह”, मैं कराह उठी…

उसकी जीभ को पूरा चूत चाटने मिले इसलिए मैंने अपनी टाँगे फैला दी… वो किसी कुत्ते की तरह लपा-लप चूत चाट रही थी..

यहाँ पवन चूची चूस रहा था और दूसरी चूची मसाल रहा था… मेरे बड़ी बड़ी चूचिया.. पूरे उसके काबू में थी.. मैं अपना सर यहाँ वह करके कराह रही थी…

“आअह्ह्ह्हह….. ह्म्मम्म्म्म…. ससससस… इस्सस हहहहह..”

मेरी ख़ुशी का तो जैसे को ठिकाना ही नहीं था.. आज मैं कुछ ऐसा अनुभव करने जा रही थी, जो की मैंने कभी किया नहीं था…

कहानी जारी रहेगी अगले अंक में…