“मुझे मस्ती करनी है अडल्ट वाली मस्ती !”
मैंने उसे ओके बोला और आगे की बात समझाई।
अगले दिन मैंने उसे छुट्टी दी और मेरे रूम पर आराम करने को बोला और में ऑफ़िस चला गया। मुझे पता था कि अगर हम दोनों एक साथ छुट्टी लेंगे तो ऑफ़िस में सब लोग सोच में पड़ जाएँगे।
दोपहर को मैं घर पर उड़ते उड़ते ही पहुँच गया। अंदर जाते ही मैंने उसे दबोच लिया और उसके पूरे शरीर पर चूमाचाटी करने लग गया। वो भी सेक्स के लिए तड़प रही थी, कुछ बोलने वाली थी तो मैंने उसे रोका और बोला- अब कुछ मत बोलो !
मैं उसे एक भूखे शेर की तरह चाट रहा था और उसके मुँह से सिर्फ़ सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया, मैं उसको नंगी देख कर ही पागल हो जा रहा था और मेरा शेर अपने विशालतम रूप में आ गया था।
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उसके कोमल मम्मे देखकर मैंने अपना चेहरा ही उनके बीच में घुसेड़ दिया, मैं उसके निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरा हाथ में लेकर मसलने लगा। उसके हाथ मेरे शरीर पर ऐसे घूम रहे थे कि मानो किसी को बहुत दिनो के बाद खाना नसीब हुआ हो।
हम दोनों भी बहुत दिनो से प्यासे थे और एक दूसरे पर टूट पड़े थे।
मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी चिकनी चूत को हाथों से सहलाने लगा, वो बहुत ही गर्म हो गई थी और उसके मुँह से सिर्फ़ सिसकारियाँ निकल रहीं थी- ऊउह… आआअह… अई… ईईह… करके वो मेरे जोश को और बढ़ा रही थी।
मैंने बिना सोचे उसकी चूत पर अपनी जीभ से धावा बोल दिया और खुशी के दर्द के मारे नीता उछलने और चिल्लाने लगी।
चाट चाट कर मैंने उसका नमकीन पानी निकाल दिया।
जब मैंने उसको 69 में आने को कहा और मेरा लंड उसके हाथ में दिया तो वो एकदम सिहर सी गई और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर मज़े से चूसने लगी। ऐसा लग रहा था कि साली पूरा का पूरा खा जाएगी।
करीब 15 मिनट की चूमाचाटी के बाद मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसे सीधा बेड पर लिटाया और उसके होठों पर होंठ रख दिए।
उसे पता था कि क्या करना है, उसने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और आँखों से इशारा किया। मैंने उसे कस कर पकड़ा और ज़ोर से धक्का लगाया, आधा लंड चूत के अंदर गया और उसकी आँख से पानी आ गया।
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मैंने पहले ही उसका मुँह बंद करके रखा था तो वो चिल्ला नहीं पाई।
थोड़ी देर रुक कर मैंने उसको पूछा- दर्द हुआ क्या?
“बहुत दिनों से तड़प रहीं हूँ, जाने कितने महीनों बाद मेरी चूत में लंड घुसा है, मत रूको, फाड़ दो मेरी चूत को, भोंसड़ा बना दो इसका !”
मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने भी अपना काम शुरु किया और ज़ोर ज़ोर से अन्दर बाहर करने लगा। उसने आँखें बंद कर ली और उसके मुँह से सिर्फ़ सिसकारियाँ निकल रहीं थी, बड़बड़ा रही थी- और ज़ोर से, आह… आऐ… अईई… उह… उफ़… मार दे… ज़ोर से ठोक दे… रे… और ज़ोर से !
उसके बड़बड़ाने से मैं और भी जोश में आ रहा था। बीस मिनट हमारी पेलमपेल चली और वो एक बड़ी चीख के साथ खाली हो गई।
मैं भी बस अब मंजिल पर पहुँचने वाला था, तो मैंने उसको पूछा- मेरा आने वाला है, कहाँ निकालूँ?
“अंदर ही छोड़ दे, पूरी तरह से चुदना चाहती हूँ मैं !”
मैंने अपनी गति और बढ़ाई, 15-20 ज़ोर के धक्के लगाने के बाद मैंने मेरा सुपर शॉट लगाया और उसकी आँखों में फिर से आँसू आ गये।
अब उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी।
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अगले कुछ मिनट हम वैसे ही पड़े रहे।
तब वो बोली- बहुत दिनों बाद चुदी हूँ, तुम्हें मज़ा तो आया ना?
मैं उसे एक प्यारा सा चुम्बन करते हुए बोला- बहुत मज़ा आया, अब यह खेल रोज रोज, जब तुम चाहो तब चलेगा !
फिर हम उठ कर मूवी देखने चले गये। हमने बहुत दिन तक ऐसी मस्तियाँ की पर किसी बंधन में न बंधने की कसम खा ली।
हम सिर्फ़ मज़े के लए एक दूसरे का साथ देने लगे।
कुछ दिनो बाद मेरा ट्रान्स्फर ऑर्डर आया तो मैंने वो कम्पनी छोड़ दी क्योंकि मैं पुणे छोड़ कर कहीं बाहर जाना नहीं चाहता था।