तभी अंकल ने मुझे बालों से हल्का सा पकड़ा और दोनों हाथों से धीरे धीरे नीचे बढ़ाते हुए अपने लंड पर मेरा मुहं झुका दिया।
तो मैंने भी अपना मुहं खोल लिया ताकि में भी उस मोटे से लंड के मज़े ले सकूं।
फिर मैंने अपने होठों को दबाकर अंकल के लंड के सुपाड़े को चूसने लगी और अंकल मेरे सर को दबा रहे थे और में अंकल के सुपाड़े पर अपना सर ऊपर नीचे कर रही थी।
फिर जब तक उनका लंड खड़ा नहीं हुआ.. तब तक तो ठीक था.. लेकिन जैसे ही मेरे चूसने की वजह से उनका लंड बड़ा हुआ मेरा पूरा मुहं उनके लंड से भर गया…
Hindisex Kahani > भाई से चुदवाने का चस्का लगा – Part 2
मुझे लगा कि मेरे मुहं में एक गरमा गर्म केक हो जिसे में चबा नहीं सकती और अंकल हल्के हल्के आवाज़ निकाल रहे थे।
तो मैंने अपनी जीन्स का बटन खोल दिया और उसे थोड़ा नीचे सरका दिया।
फिर अंकल ने मेरी काली पेंटी को बहुत दिक्कत के बाद मेरे गोरे गोरे चूतड़ो के बीच से खींचकर नीचे जांघो तक सरकाया और फिर अंकल मेरी चूत को उंगलियों से सहला रहे थे और में कुतिया की तरह झुककर लंड चूसने लगी थी।
अंकल मेरी चूत से खेल रहे थे और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
उनकी मोटी मोटी मर्दाना उंगलियाँ मेरी गांड की दरार में खलबली मचा रही थी।
तभी एकदम से अंकल ने एक उंगली मेरी चूत में घुसा दी और गोल गोल घूमाने लगे।
तो में मस्ती में आकर अपने सभी तरीक़ो से उनका लंड चूस रही थी और मैंने अंकल को इशारे से बताया कि ज़ोर ज़ोर से करो मेरी चूत टपकने वाली है।
तो अंकल हंसने लगे और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत में उंगली करने लगे और झुककर मेरे चूतड़ पर अपनी जीभ से चाटकर थूक लगाने लगे और मेरी चूत अब झड़ने वाली थी और में ऊपर उठकर हल्के से मोन करने लगी तो अंकल ने मुझे चुप रहने को कहा।
फिर अंकल ने मेरा हाथ अपने लंड पर रखा और खुद ही मेरे हाथ पकड़ कर मूठ मरवाने लगे.. उधर मेरा पानी निकल गया था और में बहुत खुश थी.. तो मैंने अंकल के होंठ पर एक किस किया।
अंकल : बाहें छोड़ साली.. पकड़े जाते अभी.. धीरे धीरे मोन किया कर।
में : सॉरी और में उन्हें चूमने लगी।
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अंकल : साली रंडी.. मेरा लंड कौन चूसेगा और में उनके खड़े हुए मोटे लंड पर जोर जोर से मुहं चलाने लगी..
जब अंकल का निकलने वाला था तो उन्होंने एक हाथ से मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुहं को अपने लंड पर ऊपर नीचे धकेलने लगे और एक हाथ मेरे चूतड़ पर घुमाने लगे।
जैसे ही उनका लंड निकलने लगा तो उन्होंने मेरा मुहं और नीचे दबा दिया और मेरी गर्दन टाईट पकड़कर और बहुत तेज़ और अपनी कमर हिलाकर हल्के झटके मारने लगे और मेरी गांड के छेद में उसी टाईम अपना अंगूठा डाल दिया और मुझे हल्का सा दर्द हुआ।
अंकल ने मेरे मुहं में ही पिचकारी मार दी जिसे मुझे पीना पड़ा।
पता नहीं कितने सालो से अंकल ने अपने लंड में इतना वीर्य जमा किया था और कुछ वीर्य टपकने लगा जिसे देखकर अंकल की हंसी छूट पड़ी।
तो मैंने जल्दी से उनकी शर्ट से साफ किया और सीधी होकर कपड़े ठीक किए।
अंकल : अरे यह क्या किया तूने? मेरी शर्ट से ही साफ कर लिया।
में : यह वीर्य आपका ही है.. आप खुद ही संभालो इसे।
अंकल : अच्छा तो पहली एक्सरसाईज़ आ गयी तुम्हे?
में : हाँ बहुत अच्छे से अंकल।
अंकल : यही है मेरी प्यारी एक्सर्साइज़ दिन में तीन बार करना कम से कम एक महीने तक और वो गंदी सी स्माईल देने लगे। तो मैंने पूछा कि अच्छा तो बाकि की एक्सर्साइज़ कब करवाओगे अंकल।
अंकल : साली रंडी बड़ी जल्दी है तुझे.. तू कहे तो में यहीं पर तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँ?
फिर अंकल की इन गंदी बातों को सुनकर मेरी पीठ के बीच से होते हुए मेरी चूत तक एक सिहरन दौड़ गयी।
नतीजा मेरी चूत से कुछ रस की बूँदें निकलने लगी।
में : मुझे तो बहुत जल्दी है क्या आपको नहीं?
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अंकल : ठीक है तो आजा चढ़ जा मेरे लंड पर।
तो में उठी और अपनी जीन्स और पेंटी फिर से नीचे सरकाकर अंकल की गोद में झट से बैठ गयी साईड में खिड़की से बाहर देखते हुए मानो मुझे कुछ खबर ही ना हो कि हो क्या रहा है?
अंकल ने अपना लंड निकाला जो कि मुरझाया था और उसे मेरी गांड के छेद पर रगड़ने लगे..
मानो लंड को मेरी गांड सुंघा रहे हो और सच में ऐसा ही हुआ लंड तुरंत ही बड़ा होने लगा..
मानो कि मेरी गांड की खुश्बू ने उसे उकसा दिया हो।
अंकल मेरी गांड में लंड घुसाने की पूरी कोशिश करने में जुट गये।
में : प्लीज वहाँ पर नहीं।
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अंकल : क्यों? चुपचाप बैठी रह एक तो इतनी मोटी गांड लिए पागल बना रही है और ऊपर से मना कर रही है इतनी चिकनी गांड है कि साला मक्खन भी शरमा जाए।
में : वाह मेरी गांड की इतनी तारीफ़ अच्छा चलो मार लो.. लेकिन जान प्यार से।
फिर मैंने अपनी गांड ढीली छोड़ दी और अंकल ने अपना लंड गांड पर बड़ी ताक़त से दबा दिया और में एकदम से उछल पड़ी।
अंकल ने फिर मेरी टॉप नीचे खींचकर मुझे बूब्स से पकड़ लिया और उन्हें शायद लग रहा था कि में कहीं भाग ना जाऊँ।
फिर बूब्स मसलते मसलते अंकल मेरी नंगी पीठ पर किस करने लगे और लंड से मेरी नाजुक गुलाबी गांड पर दबाव बढ़ने लगे.. ओह अह्ह्ह माँ.. फिर मैंने उन्हें कहा कि थोड़ा धीरे करो और फिर उनका टोपा अब मेरी गांड में घुस गया था और मेरी तो जान गले में ही अटक गयी।
फिर पता नहीं कैसे.. लेकिन में अपने आप को चिल्लाने से रोक पाई।
अब एक बार जब अंकल का लंड घुस चुका था तो फिर उन्होंने पीछे मुड़ने का नाम नहीं लिया और वो तब तक मेरी गांड को नीचे और अपने लंड को ऊपर सरकाते गये.
जब तक उनकी काटें जैसी झांटे मेरे मुलायम चूतड़ो पर ना चुभने लगी।
फिर मेरी गांड लगातार लप लप कर रही थी और मेरी आँख में आँसू भर आए थे।
तो अंकल ने मुझे अपने लंड पर कुछ मिनट तक एसे ही रखा और वो मेरे बूब्स को बहुत ज़ोर से दबाने लगे।
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थोड़ी देर तक ऐसा करते हुए उन्होंने नीचे से मुझे झटके लगाना चालू किया।
एक झटका फिर कुछ देर में एक और तगड़ा झटका.. फिर थोड़ा रुके और एक और ज़ोरदार हमला मेरी गांड पर कर दिया।